उपायुक्त
विद्या ददाति विनयं, विनयाद् याति पात्रम्।
पात्रत्वात् धनमाप्रोति धनात् धर्मं तत: सुखम्।।
ज्ञान से विनम्रता आती है, विनम्रता से पात्रता, पात्रता से धन, धन से धर्म और धर्म से सुख मिलता है।
शिक्षा मनुष्य की वह नींव है जिस पर मनुष्य का भविष्य निर्मित होता है। केंद्रीय विद्यालय संगठन, शिक्षा के प्रति अपने सतत प्रयासों से भारत में ज्ञान की ज्योति जलाने का सार्थक प्रयास कर रहा है। इस संगठन के मेरे सभी वरिष्ठ अधिकारीगण, सहकर्मीगण, शिक्षकगण और कर्मचारीगण अपने समर्पण भाव से प्रत्येक विद्यार्थी तक शिक्षा पहुंचाने का सार्थक प्रयास कर रहे हैं। पूर्ण समर्पण।
मैं उन सभी विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ जो केन्द्रीय विद्यालय संगठन के शिक्षण वातावरण में अपना भविष्य बना रहे हैं।
धन्यवाद।
(श्री धर्मेन्द्र पटले)